आंखों में हया उसकी
होंठों पर मुस्कान
याद दिलाती है उसकी
बेकरारी मेरी है
सताती है
तडपाती है
क्या करूँ मैं
कैसे करूँ इजहारे दिल
कैसे करूँ इकरारे प्यार
गुलाब दूँ
ख़त लिखूं
या मेरे खुदा
कोई और रास्ता बता दे॥
ज्ञानेंद्र
हिंदुस्तान, आगरा
rastey2manzil.blogspot.com
1 comment:
beta lagta hai jammu ke pyar ka bukhar abhi utra nahi hai...
achcha likhne laga hai.. likhta rah padh kar achcha lagta hai..
kunal
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